Header Ads Widget

Responsive Advertisement

चित्तौड़ दुर्ग व दर्शनीय स्थल

चित्तौड़ - दुर्ग समुद्रतल से 590 मीटर (1810 फीट) ऊँचे तथा आसपास भूमि से 152 मीटर (500 फीट) ऊंचे उठे हुए एक पठार पर निर्मित है। इसकी लम्बाई लगभग साढ़े तीन मील (5.6 कि.. मी.) तथा चौडाई कहीं-कहीं आधा मील (0.8 कि.मी.) तक है। इसका क्षेत्रफल 700 एकड़ (लगभग) 2.8 वर्ग कि.मी.) है तथा दुर्ग की परिधि (तलहटी पर) आठ मील (13 कि.मी.) के आस-पास है. इसकी आकृति एक विशाल हेल के समान है। एक प्रसिद्ध ब्रिटिश पुरात्तव-विशारद ने किले को देखकर अपने भाव इस प्रकार प्रकट किये है


"While rambling in the deserted fort of Chittorgarh, I felt as if I was walking on the deck of a huge ship."


चित्तौड़ का दुर्ग रेलवे स्टेशन से लगभग दो मील (3.2 कि.मी.) उत्तर-पूर्व में स्थित है। स्टेशन से एक पक्की सड़क दुर्ग तक गयी है तथा तांगा, ऑटो रिक्शा व मोटर वहाँ पहुँचने के सुगम साधन हैं। दुर्ग के मार्ग में अनेक भवन आते हैं जो दर्शकों का ध्यान अनायास ही आकृष्ट कर लेते हैं।


स्टेशन से रवाना होते ही सड़क की बांयी और जनता आवासगृह, जैन धर्मशाला व केशरियाजी जैन गुरुकुल हैं। कुछ और आगे चलने पर सड़क के बांयी ओर 'प्रताप उद्यान' में प्रतिष्ठित महाराणा प्रताप की घोड़े पर आसीन विशालमूर्ति दृष्टिगत होती है। उद्यान में विभिन्न प्रकार के पुष्प एवं लताओं के साथ-साथ रोशनी की भी सुन्दर व्यवस्था है तथा उद्यान के जंगले पर लगे ढाल एवं तलवारों के प्रतीक शौर्य एवं बलिदान की याद दिलाये बिना नहीं रहते।


इस चौराहे से आगे चलते ही भोपाल-भवन, एक आधुनिक ढंग का महल आता है जिसे उदयपुर के महाराणा भोपालसिंह ने बनवाया था। आजकल इस भवन में राजकीय अधिकारी एवं पर्यटकों के ठहरने की सुविधा के लिए सर्किट हाऊस' व 'डाक बंगला' है।


भोपाल भवन के सामने ही 'नेहरू बाल उद्यान' है। इसी सड़क पर मीरापार्क व आगे जिलार का कार्यालय है, जहाँ से मार्ग दो भागों में विभक्त होता है। उत्तर की ओर जाने वाली सीधी सड़क भीलवाड़ा को जाती है तथा वहाँ से पूर्व की ओर का मार्ग दुर्ग व शहर को जाता है। यह मार्ग गाँधी मार्ग कहलाता है।


इस 'कलक्टरी चौराहे पर नगर विकास प्रन्यास ने महात्मा गाँधी की प्रतिमा स्थापित कर उसके चारों ओर सुन्दर उद्यान का निर्माण किया है जिसमें लगी रोशनी एवं जल के फव्वारो को देखने के लिए पर्यटक रुके बिना नहीं रह सकते।

Post a Comment

0 Comments

 कुम्भश्याम का मन्दिर