बापा रावल के पश्चात् खुमाण मेवाड़ की गद्दी पर बैठे। खुमाण ने लगभग 24 युद्ध लड़े। कर्नल टॉड के अनुसार खुमाण के शासनकाल में बगदाद के खलीफा अलमामू ने चित्तौड़ पर चढ़ाई की थी, किन्तु कुछ इतिहासकारों का मत है कि खलीफा अलमामू खुमाण द्वितीय (जो खुमाण प्रथम का पांचवा वंशधर था) का समकालीन था और सम्भव है उसने खुमाण द्वितीय के समय में चित्तौड़ पर आक्रमण किया हो।
केवल खुमाण के ही नहीं अपितु बापा रावल से समरसिंह के बीच लगभग 18 शासकों के सम्बन्ध
में कोई प्रामाणिक इतिहास उपलब्ध नहीं है। इस सम्बन्ध में कर्नल टॉड ने लिखा है
"We shall not, however, overleap the four intervening centuries, though we may nor be able to fill up the reigns of the eighteen Princes whose banner at this time was a golden sun on a crimson field and several whose names yet live recorded with an iron pen on the rocks of their native abodes.
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