Header Ads Widget

Responsive Advertisement

महाराणा कुम्भा के महल

महाराणा कुम्भा के महल



बनवीर की दीवार के दक्षिण में राजपूत पद्धति के बने प्राचीन महल भग्नावस्था में विद्यमान है। ये महल भारतीय स्थापत्य कला के उत्कृष्ट नमूने हैं तथा बहुत प्राचीन है, किन्तु महाराणा कुम्भा द्व रा जीर्णोद्धार करवाये जाने व इसके साथ नये भवनों के निर्माण के कारण ये महाराणा कुम्भा के महल कहलाते हैं, महलों के अहाते में बने अनेक भवनों में 'दीवान-ए-आम' 'सूरज गोखड़ा' जनाना महल, कंवर पदा के महल तथा शिव मन्दिर प्रमुख हैं।


पुरातत्त्व विभाग द्वारा की गयी खुदाई में इन महलों के नीचे तहखाने मिले हैं, जहाँ से एक सुरंग

का गोमुख तक जाना बताया जाता है इतिहासज्ञों का ऐसा अनुमान है कि रानी पद्मिनी का जौहर

इसी स्थान पर हुआ था।

कुम्मा महल के दक्षिण व दक्षिण-पश्चिम के भाग में कंवरपदा महलों के खण्डहर हैं। उदयसिंह का जन्म, पन्ना द्वारा उदयसिंह को बचाने के लिए अपने पुत्र का बलिदान, मीरा द्वारा कृष्ण की आराधना, महाराणा विक्रमादित्य द्वारा मीरा को विषपान करवाना आदि घटनाओं का इन्हीं महलों में होना बताया जाता है। कुम्भा महल के प्रमुख प्रवेश द्वार 'बड़ी पोल' व त्रिपोलिया' कहलाते हैं।

Post a Comment

0 Comments

 कुम्भश्याम का मन्दिर